खगड़िया जिले के खगड़िया स्थिति कोसी महाविद्यालय का अर्ध निर्मित महिला छात्रावास निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही खंडहर में तब्दील हो चुका है। मालूम हो कि यूजीसी के फंड से 80 लाख की लागत से वर्ष 2011 में तत्कालीन प्राचार्य के कार्यकाल में इस छात्रावास का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। महाविद्यालय के वर्तमान प्राचार्य डा. जयनंदन सिंह ने बताया कि पहली किस्त के रूप में महाविद्यालय को 40 लाख रुपये यूजीसी से प्राप्त हुआ था। इस राशि से स्ट्रक्चर तैयार होने से लेकर छत ढलाई के बाद कार्य बंद है। मालूम हो कि तत्कालीन व उसके बाद के प्राचार्य के द्वारा समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को नहीं भेजने के कारण दूसरी किस्त की राशि रोक दी गई। बताया जाता है कि ठेकेदार द्वारा 48 लाख रुपये खर्च करने का दावा किया गया है। जिसका पूरा ब्यौरा यूजीसी को भेजा गया। बावजूद यूजीसी द्वारा यह कहा जा रहा है कि उन्हें किसी प्रकार के खर्च का ब्योरा प्राप्त नहीं है। वर्ष 2011 में महिला छात्रावास बनाना शुरू हुआ। 2014 में 40 लाख से अधिक की राशि खर्च कर भवन की ढलाई तक का कार्य हुआ। लेकिन अगली किश्त नहीं मिलने से शेष कार्य नहीं हो सका। सात वर्षों में अर्धनिर्मित छात्रावास भूत बंगला बन चुका है। कोसी महाविद्यालय के कर्मियों की माने तो यहां तीन हजार से अधिक छात्राओं का नामांकन है। इनमें बड़ी संख्या में छात्राएं दूर देहात से भी पढ़ने आती हैं। इन्हें शहर में भाड़े पर मकान लेकर रहना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को परेशानी से गुजरना पड़ता है।यूजीसी ने तत्कालीन प्राचार्यों को कई बार कोलकाता आने के लिए रिमाइंडर दिया था। लेकिन उक्त कालखंड में कोई प्राचार्य वहां नहीं जा पाए। मैंने मुंगेर विश्वविद्यालय के वीसी को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि यह टेंथ प्लान का ही छात्रावास है। जो अब बंद हो गया है। छात्रावास निर्माण कार्य को महाविद्यालय के फंड से ही पूरा किया जा सकता है। वैसे, मैं जल्द ही छात्रावास की फाइल को लेकर कोलकाता जाऊंगा। प्रयास करेंगे कि अर्ध निर्मित छात्रावास को यूजीसी फंड उपलब्ध कराएं।