खगड़िया जिले में कुल 181 नलकूप लगाए गए हैं, लेकिन विभाग के अनुसार इस वक्त केवल 82 का ही संचालन हो रहा है। अन्य नलकूप बेकार पड़े हैं। इन्हें ठीक करने की बजाय विभाग की ओर से 45 और पंप सेट लगाने के लिए डीपीआर बनाई जा रही है। दूसरी ओर खराब पड़े नलकूप के कारण किसानों को प्राइवेट मोटर सेट पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसका उन्हें सरकारी दर से काफी अधिक मूल्य चुकाना पड़ रहा है। इस वर्ष बारिश कम होने से समस्या और भी अधिक बढ़ गई है। जिले में कई महीनों में सामान्य से 60-77 प्रतिशत तक कम बारिश होने के कारण नदी-नहरे और तालाब सूख गए हैं, जिससे सिचाई की वैकल्पिक व्यवस्था में कमी आई है। सरकारी दर पर 110 रुपए में एक एकड़ की सिचाई दो बार की जा सकती है, लेकिन यही काम प्राइवेट पंप सेट से करवाने पर किसानों को 300-400 के बीच खर्च करना पड़ता है। किसानों की समस्या को देखते हुए नलकूपों की स्थिति जानने के लिए शनिवार को जब दैनिक भास्कर टीम निकली तो एक भी पंप सेट चालू स्थिति में नहीं मिला। अगस्त में 77 प्रतिशत तक कम हुई बारिश इस वर्ष खगड़िया पूरी तरह से सूखे की चपेट में है। इस वर्ष जुलाई और अगस्त महीने में भी औसत से कम बारिश होने के कारण किसानों के समक्ष परेशानियां खड़ी हो गई। जानकारी के अनुसार 2022 के जुलाई में औसत 316 एमएम की जगह मात्र 93 एमएम बारिश हुई है। डीएम ने नलकूपों को ठीक करवाने के दिए थे निर्देशमानसी के मुरली बहियार में चन्देश्वरी यादव, रंजीत यादव व अन्य प्राइवेट पंप सेट के सहारे अपनी खेतों की सिचाई कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इस बार अच्छी बारिश भी नहीं हुई, पटवन नहीं करेंगे तो बीज नहीं अंकुरित होगा। ऐसे में किसानों के पास पटवन का कोई और विकल्प नहीं है। डीएम को लघु जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता ने जिले के 181 में से 82 नलकूपों के चालू होने एवं 45 का डीपीआर विभाग को समर्पित करने की बात कही, जबकि विभागीय सूत्रों को माने तो धरातल पर मात्र 35 नलकूप चालू स्थिति में है, बाकी खराब पड़ा हुआ है। कहीं नलकूप को जंग खा रही है तो बिजली तक नहीं पहुंच पाई है। डीएम ने नलकूपों को चालू करने के लिए जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कम बारिश से बढ़ी किसानों की परेशानीजिले में कम बारिश होने से नदी-नहरे भी सूख गए हैं, ऐसे में किसानों के लिए पानी जुटाना चुनौती बनी हुई है। दूसरी तरफ विभाग ने इससे निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। डीएम अब जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक रोज कर रहे हैं। बीते 22 नवंबर को डीएम ने राजकीय नलकूपों के सत्यापन, खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए मनरेगा से चैनलों की मरम्मति एवं उड़ाही व वैकल्पिक फसल सूत्रण के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे, लेकिन अनुपालन नहीं हो रहा है। नलकूप खा रहे जंग परबत्ता प्रखंड के देवरी पंचायत में 2, बैसा में 4, पिपरालतीफ में 3, बंदेहरा में 3, परबत्ता में 3, कवेला में 2, कोलवारा में 4 तथा माधवपुर, जोरावरपुर, दरियापुर भैलवा में आधा दर्जन और शेष अन्य पंचायतों में लगाए गए सरकारी नलकूप वर्तमान समय में बंद पड़े हैं। पंप सेट के संचालन के लिए पीएचईडी ने एक-एक ऑपरेटर की नियुक्ति भी कर रखी है, जिससे ऑपरेटर घर बैठे ही वेतन का लाभ ले रहे हैं। पसराहा-मड़ैया मुख्य मार्ग में दो साल पूर्व दो सरकारी पंप सेटों का निर्माण विभाग ने किया है था, लेकिन दोनों नलकूपों का फायदा भी किसानाें को नहीं मिल रहा। डीएम डाॅ. आलोक रंजन घोष नलकूपों को चालू करने का निर्देश सभी नलकूपों को चालू करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। साथ ही विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता को भी कृषि फीडर के तहत किसानों को नया कनेक्शन देने का निर्देश दिया गया। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि चयनित कंपनी द्वारा धीमी गति से कार्य करने से परेशानी हो रही है और इस संबंध में विभाग को प्रतिवेदित किया गया है।