खगड़िया जिला के सदर प्रखंड अन्तर्गत बेला सिमरी पंचायत के सर्वोदय मध्य विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, हालात यह है कि भवन कभी भी जमींदोज हो सकता है, जिसमें ग्राम पंचायत राज बेला सिमरी के कई बच्चे हमेसा के लिए दफन हो सकते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही से आज भी छात्र इसी जर्जर भवन के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, बेला सिमरी पंचायत के मुखिया अनिल महतो, विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम नरेश प्रसाद गाँव के बच्चों के ऊपर मँडरा रहे इस खतरें को देखते हुए नया भवन बनवाने की गुहार खगड़िया शिक्षा विभाग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
महीनों तक कार्रवाई नही होता देख, ग्राम पंचायत राज बेला सिमरी के मुखिया अनिल कुमार उर्फ सुगन महतों व सर्वोदय मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम नरेश प्रसाद ने बोलता खगड़िया की इन्वेस्टिगेशन टीम को ग्राउण्ड जीरो पर बुलाकर भवन के जर्जर हालात से रूबरू करावाया। भवन के हालात वाकई डराने वाला है, हो न हो विभाग की लापरवाही, आने वाले समय में एक बड़ा हादसा का रूप ले सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का बेहतर माहौल देने का दावा कर रहें हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है, बेला सिमरी पंचायत का यह सर्वोदय मध्य विद्यालय इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी गिर सकता है। 1200–1300 छात्र-छात्राओं वाले इस आदर्श विद्यालय के कमरे, जब जर्जर हो गए तो शिक्षकों ने बरामदें पर पढ़ाना शुरू किया, लेकिन अब बरामदा भी जर्जर हो गया तो, शिक्षकों ने क्षेत्र के मुखिया अनिल महतो उर्फ सुगन महतो जी से व मुखिया जी, बोलता खगड़िया के इन्वेस्टिगेशन टीम से सम्पर्क साधकर बताया कि सर्वोदय मध्य विद्यालय का कई भवन काफी जर्जर स्थिति में है और निकट भविष्य में बड़ा हादसा का रूप ले सकता है, हमने नए विद्यायल भवन को लेकर विधायक से लेकर सांसद और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से गुहार लगाई है लेकिन कोई कार्रवाई नही हो रही है।
आपको बतादें कि, इस सर्वोदय मध्य विद्यालय में पढ़ाई का माहौल बेहतर होने के कारण आस-पास के इलाके में कई मध्य विद्यालय होने के बाबजूद भी इस विद्यालय में 1300 में 900 से 1000 छात्र एवं छात्राएं नियमित रूप से पढ़ने आते हैं, लेकिन जर्जर भवन के कारण, बच्चों में हमेशा हादसा होने का डर लगा रहता है।
स्कूल में अध्यनरत बच्चों का कहना है कि जर्जर भवन के अलावा बरसात के दिनों में इस स्कूल में बैठकर पढ़ाई करना लगभग नामुमकिन हो जाता है, क्योंकि हमारी पाठ्य पुस्तकें कागज की हैं जो पानी को क्षण भर भी बरदास्त नही कर सकतीं, चूँकि बरसात में स्कूल की छत से ऐसे पानी टपकता है जैसे हम भवन में नही भवन के बाहर बैठे हों।