खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड नगर पंचायत परबत्ता अंतर्गत ग्राम कन्हैयाचक के वार्ड 01 में माँ भगवती सह माँ सरस्वती मंदिर के प्रांगण में  जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जयंती बहुत ही धूम धाम से मनाया गया। इस दौरान उनके तैलिये चित्र पर पुष्प माला चढ़ा कर उन्हें याद किया।जननायक कर्पुरी ठाकुर की जयंती को संबोधित करते हुए वरीय राजद नेता अखिलेश यादव  उर्फ अखिलेश्वर दास ने कहा कि उनकी जयंती और उन्हें याद करने का मतलब और मकसद को समझना जरूरी है । कर्पुरी ठाकुर  बहुजनों के सबसे सच्चे मार्गदर्शक , उत्थानकर्ता , हक हकूक की बात करने वाला ,विचारों को अपने जीवन में उतारने वाला सच्चा समाजवादी थे । सामाजिक कुरीतियों के तमाम दंश को झेलते हुए अपने विचारों को कभी डिगने नही दिया।  मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया जिससे पिछड़े ,दलित के बच्चे भी उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सके । देश का पहला राज्य हुआ जिसने उनके मुख्यमंत्रित्व काल में पिछड़े ,दलित के लिए आरक्षण लागू किया । जब आरक्षण लागू किये तो उन्हें सामंती ताकतें विभिन्न तरह की गलियां दिया करता था । उनका साफ मानना था जबतक पिछड़े,दलित को सम्मान नहीं मिल जाता तबतक हमें व्यक्तिगत कोई सम्मान नहीं चाहिये । एकबार की बात है जब वे ऑस्ट्रेलिया जानेवाले प्रतिनिधि मंडल के लिए चयनित हुए उनके पास एक कोट नही था अपने दोस्त से मांगा वह भी फटा हुआ उसे पहनकर ही वे ऑस्ट्रेलिया गए । उन्होंने कहा था आरक्षण नोकरी सिर्फ प्राप्त करने के लिए नही है यह सामाजिक बराबरी और सम्मान प्राप्त करने के लिए है । आज देश की गद्दी पर बैठे सामंती ,साम्प्रदायिक सक्तियाँ धर्म के आड़ में बाबा साहेब के संविधान को बदलने की कोशिश कर रहा है , वह नागपुरिया कानून,मनुस्मृति को लागू करने की फिराक में है। आज हमें जननायक कर्पुरी ठाकुर को याद करते हुए संकल्प लेना है कि अपने हक अधिकार के लिए कर्पुरी जी के बताए रास्ते पर चलेंगे संविधान को बचाने के लिए  हमें अंतिम सांस तक लड़ना है और साम्प्रदायिक सक्तियाँ को बिहार और देश की सत्ता से बेदखल करेंगे। इस दौरान मौके पर उपमुख्य पार्षद कविता देवी, वार्ड पार्षद संजो देवी, अखिलेश यादव  उर्फ अखिलेश्वर दास, कन्हैया कुमार,आशा देवी, शीला देवी, प्रेमा देवी, अंजनी देवी, प्रतिमा देवी, श्यामा देवी के आलावे सैकड़ो लोग उपस्थित थे।

Gurudev kumar

Editor-in-chief

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