खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड मुख्यालय के ठीक सामने जिला परिषद खगड़िया की आंतरिक निधि से बनाए जाने वाले 102 स्टॉलों के निर्माण की प्रक्रिया में कानूनी पेच फंस गया है। एक ओर जहां इन स्टॉलों के बनाए जाने के बाद प्रभावित होने वाले परिवारों के द्वारा विभिन्न फोरमों पर इसके निर्माण का विरोध किया जा रहा है तो वहीं, दूसरी ओर जिला परिषद के द्वारा इन विरोध के काट की प्रक्रिया भी अनवरत चल रही है। इसके अलावा रुपौहली गांव के गंगा कटाव से विस्थापित परिवारों के द्वारा विभिन्न प्राधिकारों के समक्ष वाद दाखिल कर इस स्टॉल के निर्माण का विरोध किया जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ जिला परिषद के द्वारा उन प्राधिकारों के द्वारा दिए गए आदेश का काट निकालने का सिलसिला चल रहा है। इस प्रक्रिया में रुपौहली गांव निवासी सार्जन आलम ने प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष प्रथम अपील दायर कर अपने तर्कों को रखा है। प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह प्रमंडलीय आयुक्त मुंगेर में इस बाद को निष्पादित करते हुए जिला पदाधिकारी खगड़िया को यह आदेश दिया कि वे ऐसा कोई स्टॉल का निर्माण नहीं कराएंगे, जिससे रास्ता प्रभावित हो। साथ ही विभागीय सचिव प्रधान सचिव पंचायती राज विभाग पटना के द्वारा पारित आदेश का अनुपालन कराना सुनिश्चित करेंगे। प्रधान सचिव के आदेश में भी यह कहा गया था कि सरकारी सड़क की जमीन कॉल पर स्टाल का निर्माण किया जाना नियमतः सही नहीं है। अलग-अलग फोरमों में अपीलार्थियों ने दर्ज कराई अपनी शिकायतें दरअसल, अपीलार्थियों के द्वारा अलग-अलग फोरमों पर शिकायत दर्ज कराया गया था कि जिला परिषद के द्वारा परबत्ता प्रखंड मुख्यालय के ठीक सामने केसर ए हिंद की जमीन पर व्यावसायिक स्टॉलों के निर्माण कराये जाने से पुनर्वासित परिवारों के मकान का रास्ता बाधित हो जाएगा। इसके अलावा यह आदेश भी प्राप्त किया गया कि सरकारी सड़क के अगल- बगल में अवस्थित भूमि को भविष्य में सड़क की चौड़ीकरण के लिए सुरक्षित रखना आवश्यक है। इन सभी परिवादों में पारित आदेश के अनुपालन के क्रम में विभिन्न प्राधिकारों के द्वारा जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को अलग-अलग आदेश प्राप्त हुआ। यह आदेशों की प्रति को पढ़ने के बाद स्टॉल आवंटन के लिए प्रतीक्षारत आवेदकों में संशय की स्थिति पैदा होने लगी है। स्वार्थ के लिए लाया गया | परिवाद पत्र में कहा गया है कि आवेदनकर्ता मोहम्मद साजन आलम एवं अन्य द्वारा अपने निजी स्वार्थ से यह परिवाद लाया गया । जिला परिषद की अधिक्रमित भूमि को खाली नहीं करने के उद्देश्य एक ही बात को बार-बार लाना तथा कार्य में बाधा उत्पन्न जैसा है । जिला परिषद की भू संपदा को अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए जिला परिषद की आय में वृद्धि हेतु संसूचित है। इन्हीं स्टालों के निर्माण कराए जाने से सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार का अवसर उपलब्ध होगा। जिला परिषद के आय में वृद्धि होगी।मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने डीएम को पत्र लिख स्थिति से कराया अवगतइधर, इन सभी आशंकाओं के बीच जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता राशिद आलम ने डीएम को पत्र लिखकर इस मामले में पूरी स्थिति को स्पष्ट किया है। प्रेषित पत्र में जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने यह कहा है कि बोर्ड अंडर द कंट्रोल एंड एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ द डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अनुसार मुश्कीपुर- अगुवानी पथ जिला परिषद की सड़क है। वर्तमान में जिला परिषद द्वारा परबत्ता प्रखंड में प्रस्तावित स्थल का निर्माण सड़क के पश्चिम खाता संख्या 186, खेसरा 206 तथा रकबा 5 एकड़ 20 डिसमिल की भूमि पर निर्माण कार्य किया जाना है। जिला परिषद द्वारा जारी किए गए प्रस्तावित स्टॉल के निर्माण का जो नक्शा बनाया गया है, उसके अनुसार मुख्य सड़क से नौरंगा गांव की तरफ जाने वाले सभी पांच रास्ताें के लिए 15 फीट खाली भूभाग छोड़ दिया गया है। इसलिए किसी पक्षकार के द्वारा रास्ता को अवरुद्ध करने का आरोप के मामले में अपीलीय प्राधिकार के आदेश का अक्षरश: अनुपालन किया गया है।