परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के परबत्ता सीएससी में सोमवार को हाइड्रोसील का ऑपरेशन किया गया है। जिसमे की हाइड्रोसील पुरुषों के अंडकोष में होने वाली एक आम समस्या है। जिसमें अंडकोष में पानी जमा हो जाता है जिससे अंडकोष का आकार बढ़ जाता है। हाइड्रोसील का इलाज पूरी तरह से संभव है। डॉ धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि हाइड्रोसील मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। इसमें पहला कम्युनिकेटिव जबकि दूसरा नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील शामिल है। कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील होने पर अंडकोष की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती है और इसमें सूजन एवं दर्द होता है। हार्निया से पीड़ित मरीज में कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील का खतरा अधिक होता है। वहीं नॉन कम्युनिकेटिव हाइड्रोसील में अंडकोष की थैली बंद होती है और बचा हुआ द्रव शरीर में जमा हो जाता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में अधिक देखने को मिलता है और कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। उन्होंने बताया कि अक्सर देखा गया है पुरुषों में यह समस्या 40 वर्ष के बाद होती है। बच्चों में अगर इस तरह की समस्या होती है तो कुछ समय बाद वह स्वत: ही सही हो जाती है।उन्होने बताया कि हाइड्रोसील का ऑपरेशन बहुत ही सुरक्षित और सरल है। ऑपरेशन कराने के बाद व्यक्ति एक हफ्ते बाद ही सामान्य तरीके से कार्य करना शुरू कर सकता है और ऑपरेशन के बाद किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत हाइड्रोसील के इलाज व ऑपरेशन के लिए समय-समय पर जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष कैंपों का आयोजन किया जाता है। इससे हाइड्रोसील रोगियों को निशुल्क इलाज व ऑपरेशन कराने व मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है और मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। वही परबत्ता सीएचसी प्रभारी डॉ कशिश ने बताया की सलारापुर के जगबहादुर सिंहे, तेलिया बथान के उदय मंडल, बैसा के टुनटुन यादव, नयागांव शिरोमणि टोला प्रफूल सिँह का राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत हाइड्रोसील के इलाज व ऑपरेशन किया गया है। इधर रविवार के ऑपरेशन सफल बनाने के लिए डॉ धर्मेंद्र कमार, लैब टेक्नीशियन मनोरंजन पंडित, एएनएम गुंजन कुमारी, विबीडीएस अरुण कुमार , पिरामल से श्रवण कुमार, फेमली प्लानिंग कैंसिल से अभिषेक कुमार, पीएमडब्लू शैलेंद्र कुमार चौधरी आदि थे।